Friday, April 13, 2012

उम्मीद पर टिका हूँ केवल मैं या टिकी हुई है सारी दुनिया....


उम्मीद पर टिका हूँ केवल मैं या टिकी हुई है सारी दुनिया....
सपने देख रहा हूँ केवल  मैं या देख रही सारी दुनिया.....
रास्ता ढूंड रहा हूँ केवल मैं या ढूंड रही सारी दुनिया....
कल के भरोसे केवल जी रहा हूँ मैं या जी रही सारी दुनिया....

कल केवल मैंने ना देखा या देख ना सकी सारी दुनिया.....
ये जीवन केवल मेरा नहीं .... जी रही सारी दुनिया.....


दुनिया की देखा देखि का लाभ भला क्या पाएंगे ....
अकेले  आये है सब अकेले ही जायेंगे....
माना दो चार पल साथ में बिताएंगे....
दुनिया वाले आखिर कब तक साथ निभाएंगे....


इस अंधियारे गलियारे में क्यों रोशनी ना फैलता हूँ मैं .....
क्यों रास्ता जब ना हो मालूम तो दूर चला जाता हूँ मैं....
मैं मैं करते बीत गया मानो सारा बचपन जीवन ....
रह गए स्वपन सब आँखों में सच नहीं हो पाया जीवन.....


देखा देखि मत कर तू क्या, दुनिया को दिखलायेगा...
जो साबित करने आया है वो साबित कर क्या पायेगा ....


दुनिया माना की तेरी है पर वो सब की न्यारी है.....
जीवन तो माना सबको जान से प्यारी है .....

मत घबरा तू.... मत शर्मा तू....
मत बात बात पे इतरा तू ....
ये दुनिया तेरी है .... और ये दुनिया मेरी है ...
ये दुनिया सबकी है .....तब किस बात की देरी है ....!!


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