Sunday, January 08, 2012

पूरे हफ्ते रविवार का इंतज़ार करते है ....











पूरे हफ्ते रविवार का इंतज़ार करते है ....
फिर ना जाने उसे इस कदर क्यों बर्बाद करते है ....

ना खाने का होश रहता है .....
ना कही जाने का जोश रहता है .....

सिनेमा अच्छी आती यो ही कम है .....
दाम टिकेट के वैसे भी क्या कम है....

दोस्तों के नखरे भी थोड़े थोड़े ....बाकि तो हमारे ही क्या कम है ....

घूमने जाने की जगह ही नहीं ढूँढ पाते है ........
विंडो शौपिंग भी हर बार कैसे कर पाते है...


कहने को तो हज़ारो सीरियल भी आते है
पर मन लगा के देख कहा पाते है .....
जी भर के घर में अलसाते है....
कुछ नौजवान तो घर पे भी काम लिए आते है ....
आज के ज़माने में भला खेलने कौन जाता है ....
कौन संगीत की तान में गुम सा हो जाता है ....
कई तो चिपके रहते है टीवी या लैपटॉप से ....

थोड़ा बहुत समय साफ़ सफाई में भी बिताते है....

थोड़ा बहुत समय फेसबुक पर बिताते है .....
और कुछ ना सुझा तो सो जाते है ......

फिर अगले रविवार के आने का इन्तेजार करते है .....
शायद उसे भी इस कदर ही बर्बाद करते है .....

2 comments:

Nupur Pavan Bang said...

Absolutely right...too good!

anuj said...

thanks a lot didi...

Ek Shaam

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